ॐ आशीष मांगू बाबा आपसे और कुछ न मांगू आज आप से .

भेजा यहाँ इस धरती पर आपने सन १९४३ फेब्रुअरी २ दिन ब्रम्ह मुहूर्त देख आपने.

आज इस दिन मांगू बाबा बन पाऊं आत्म स्वरूपी बाबा .

भक्ति मीरा जैसी ही हो मन मेरे , कृष्ण दर्शन मिले आपसे बाबा.

यहाँ द्वारिकमाई में मिली शांति गजब बाबा आती रहूँ यहाँ बारबार बाबा.

और कहीं मन जाने न चाहे जो अब मन मेरा बाबा .

पाया है बहुत कुछ आपसे बाबा .

अब कुछ और न चाहत ही रही आपही आपही से जो हूँ मैं जुडी .

संसार सागर पार करवाओगे बाबा बने जो हो मेरी नैया के खेवनहार बाबा.

पल पल समय का चक्र घुमे हैं बाबा , हर पल समरे मन मेरा आपको बाबा.

निर्गुण निराकार को पहचानू मैं बाबा शिवोहम शिवोहम , ब्रह्मास्मि बन पाऊं बाबा .

पल दिन महीनों साल जीतन मैं जियूं भक्ति मय बनी मैं रहूँ .

आज इस जनम दिन के मेरे मांगू आशीष दे दे बाबा मेरे.